मंगलवार, मार्च 16, 2010

किसानों के नाम पर 200 करोड़ का घोटाला

राज्य सरकार ने इस घोटाले में 2200

कर्मचारियों को दोषी करार दिया


















रवीन्द्र जैन

भोपाल । लीजिए मप्र में एक और बड़ा घोटाला हाजिर है। मध्यप्रदेश सरकार ने किसानों की ऋण माफी के नाम पर 114 करोड़ का घोलमाल होना स्वीकार कर लिया है। लेकिन अभी जांच जारी है और घपला दो सौ करोड़ से अधिक हो सकता है। राज्य की सहकारी बैंकों व प्राथमिक सहकारी समितियों ने धडल्ले से अपात्रों से मिलीभगत करके यह घपला किया है। इस घपले में जिला सहकारी बैंकों के 299 अधिकारी, 395 कर्मचारी एवं प्राथमिक सहकारी समितियों के 1507 कर्मचारी दोषी पाए गए हैं किन्तु राज्य सरकार ने अभी तक केवल 10 कर्मचारियों को ही सेवा से पृथक करने की कार्यवाही की है।

क्या है योजना : केन्द्र सरकार ने मप्र के गरीब एवं बैंकों का कर्ज न पटा सकने वाले किसानों के ऋण माफ करने एवं उन्हें ऋण चुकाने में राहत देने की योजना के तहत राज्य सरकार को 914 करोड़ रुपए की राशि उपलब्ध कराई थी। इस राशि से जिला केन्द्रीय सहकारी बैंकों को उन किसानों के ऋण पूरी तरह माफ करने थे जिनके पास 5 एकड़ से कम भूमि है तथा वे 1997 से 2007 के बीच अपना कर्ज अदा नहीं कर सके हैं, इसके अलावा पांच एकड़ से अधिक भूमि वाले ऐसे किसानों के लिए भी केन्द्र सरकार ने ऋण राहत योजना प्रारंभ की थी जो पिछले दस वर्षों तक बैंकों का ऋण नहीं चुका सके थे।

कैसे आई राशि : केन्द्र सरकार ने नाबार्ड के माध्यम से कृषि ऋण माफी और ऋण राहत योजना 2008 के तहत यह राशि मप्र राज्य सहकारी बैंक को दी तथा मप्र राज्य सहकारी बैंक ने यह राशि जिला केन्द्रीय सहकारी बैंकों को राशि की थी।

कैसे हुई गड़बडिय़ां : जिला केन्द्रीय सहकारी बैंकों को भारत सरकार के निर्देशों के अनुसार किसानों की ऋण माफी एवं ऋण राहत करना थी। ऋण राहत योजना में 5 एकड़ से बड़े किसानों को एकमुश्त राशि जमा करने पर 25 प्रतिशत ऋण से मुक्ति देने की योजना थी। लेकिन यह जानते हुए कि सहकारी बैंकों में बैठे नेता और दलाल घपले से बाज नहीं आएंगे, राज्य सहकारी बैंक ने यह राशि सभी जिलों सहकारी बैंकों को भेज दी। सहकारी बैंको ने भी बेहद लापरवाही का परिचय दिया और ऋण राहत एवं ऋण माफी के प्रकरण प्राथमिक सहकारी समितियों के माध्यम से तैयार कराए। इन समितियों में स्थाई कर्मचारियों की नियुक्ति नहीं होती। जिला सहकारी बैंकों के कर्मचारियों, अधिकारियों एवं समितियों ने सदस्यों ने मनमाने ढंग से जिस किसान का ले देकर कर्ज माफ कर दिया। केन्द्र सरकार ने निर्देश दिए थे कि केवल कृषि ऋण ही माफ किया जाएगा, लेकिन बैंकों एवं सहकारी समितियों ने मकान, मोटर सायकिल, चार पहिया वाहनों के ऋण भी माफ कर दिए।

कैसे हुआ खुलासा : मप्र विधानसभा में कांग्रेस के विधायक डा. गोविन्द सिंह ने 28 जुलाई 2009 को यह मामला विधानसभा में उठाया। इसके बाद 23 जुलाइ्र 2009 को विपक्षी सदस्यों ने इस मुद्दे पर

ध्यानाकर्षण सूचना के तहत सरकार का ध्यान इस घपले की ओर आकर्षित किया। तब सहकरिता मंत्री ने घपले को स्वीकार करते हुए 31 दिसम्बर तक इसकी जांच कराने एवं दोषी अधिकारियों कर्मचारियों के विरुद्ध कार्यवाही करने का भरोसा दिलाया था। लेकिन इस घपले की जांच अभी तक पूरी नहीं हुई है।

अब तक 114 करोड़ का घपला : 10 मार्च 2010 को कांग्रेस के डा. गोविन्द सिंह ने प्रश्र के माध्यम से फिर से इस मामले को विधानसभा में उठाया तो सहकारिता मंत्री बिसेन ने चौंकाने वाली जानकारी दी। उन्होंने सदन में स्वीकार किया कि इस योजना में अभी तक की जांच में 114.81 करोड़ की अनियमितता हो चुकी है। उन्होंने इन अनियमिततओं के लिए जिला सहकारी बैंकों के 218 अधिकारियों, 395 कर्मचारियों को दोषी बताते हुए कहा कि प्राथमिक सहकारी समितियों के 1507 कर्मचारी भी इसके लिए दोषी हैं। उन्होंने कहा कि 2201 दोषी अधिकारी कर्मचारियों में से प्राथमिक सहकारी समिति के केवल 10 कर्मचारियों को सेवा से पृथक कर दिया गया है।

रिकार्ड ही गायब : सहकारिता मंत्री ने विधानसभा में यह कहकर सबको चौंका दिया कि सीधी जिला केन्द्रीय सहकारी बैंक से इस घपले का रिकार्ड गायब कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि इस रिकार्ड को जप्त करने की कार्यवाही की जा रही है। उन्होंने यह भी बताया कि इसकी जांच में अभी तीन महिने से ज्यादा लग सकते हैं, जब घपले की राशि का सही सही अनुमान लगाया जा सकता है।

भिण्ड में 17 करोड़ का घपला : भिण्ड जिले में इस योजना के तहत सबसे ज्यादा राशि का गोलमाल किया गया है। सहकारिता मंत्री के अनुसार भिण्ड में 16.73 करोड़ की अनियमितता पाई गई है।

सीहोर में लीपापोती के प्रयास : सीहोर जिले में लगभग साठ लाख का घपला है, लेकिन बताया जाता है कि बैंक के अधिकारी कर्मचारी मिलकर इसे दूर करने का प्रयास कर रहे हैं।



एक नजर में

- योजना का नाम : कृषि ऋण माफी एवं ऋण राहत योजना 2008
- कुल आंवटित राशि : 916 करोड़ रुपए
- सरकार द्वारा स्वीकार घपला : 114.81 करोड़
- कुल घपला : लगभग 200 करोड़
- दोषी अधिकारी : 218
- दोषी कर्मचारी : 395 बैंक के
- दोषी कर्मचारी : 1507 प्राथमिक सहकारी समिति के
- देाषी कर्मचारी सेवा से पृथक : मात्र 10 प्राथमिक समितियों के


- यह मप्र के इतिहास में किसानों के नाम पर किया गया अभी तक का सबसे बड़ा घोटाला है। राज्य सरकार द्वारा दोषी अधिकारियों कर्मचारियों को बचाने के प्रयास किए जा रहे हैं, इससे उसकी नीयत पर भी शक हो रहा है। कांग्रेस पार्टी इस घपले की विस्तृत शिकायत केन्द्र सरकार से करने जा रही है।



डा. गोविन्द सिंह, विधायक

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