शुक्रवार, मार्च 19, 2010
मिस्टर विधायक ... यह चोरी है
विधायकों के फर्जी यात्रा देयकों पर करोड़ों का भुगतान
जांच हुई तो छिन सकती है सदस्यता, हो सकती है जेल
रवीन्द्र जैन
भोपाल। मध्यप्रदेश के विधायक धडल्ले से विधानसभा सचिवालय में फर्जी यात्रा देयक लगाकर राज्य सरकार को करोड़ों रुपए का चूना लगा रहे हैं, लेकिन सब कुछ जानते हुए इस फर्जीवाडे को रोकने की हिम्मत किसी में नहीं है। इस संबंध में एक पूर्व हाईकोर्ट जज का कहना है कि - इस मामले की गंभीरता से जांच हुई तो न केवल मप्र के सौ से अधिक विधायकों की सदस्यता समाप्त हो सकती है, बल्कि उन्हें जेल भी भेजा जा सकता है।
विधानसभा में सौ से अधिक विधायक विधानसभा सत्र के दौरान भोपाल आने जाने की यात्रा ट्रेन से करते हैं और उसी तिथि में अपने वाहन से आने जाने का फर्जी देयक बनाकर विधानसभा सचिवालय से सड़क मार्ग से आने का भी भुगतान ले लेते हैं। इनमें ग्वालियर चंबल संभाग एवं रीवा सतना के विधायकों की संख्या सबसे अधिक है। राज एक्सप्रेस ने सूचना के अधिकार के तहत विधानसभा सचिवालय से जानकारी निकाल कर इस फर्जीवाडे को उजागर करने का प्रयास किया है।
क्या है नियम : मप्र में विधायकों को विधानसभा सत्र के दौरान बैठकों में शामिल होने भोपाल आने जाने के लिए रेल अथवा वाहन भत्ते की पात्रता है। वाहन से आने विधायकों के लिए मप्र विधान मंडल यात्रा भत्ता नियम 1957 है एवं रेल से आने वालों के लिए मप्र विधानसभा सदस्य रेल द्वारा निशुल्क अभिवहन नियम 1978 प्रभावशील है। पहले वाहन से आने वालों के बारे में चर्चा करते हैं। विधायक यदि सत्र में सम्मलित होने के लिए स्वयं के वाहन से आते हैं तो उन्हें आने एवं जाने के लिए 6 रुपए किलोमीटर की दर से यात्रा भत्ता पाने का हक है, लेकिन इसमें स्पष्ट है कि उक्त वाहन सदस्य के नाम रजिस्टर्ड होना चाहिए। इसी प्रकार रेल यात्रा के संबंध में सभी विधयकों को राज्य के अंदर असीमित एवं राज्य के बाहर एक वर्ष में अधितम 6000 किलोमीटर यात्रा की पात्रता है।
क्या कर रहे हैं विधायक : मप्र के लगभग आधे विधायक विधानसभा के सत्र के दौरान रेल से यात्रा करके भोपाल पहुंचते हैं तथा विधानसभा सचिवालय में वाहन से आने का यात्रा देयक बनाकर वाहन किराया वसूल लेते हैं। नियम में साफ लिखा है कि - वाहन भत्ता उसी वाहन का दिया जाएगा जो विधायक के स्वयं के नाम रजिस्टर्ड हो। लेकिन सूचना के अधिकार में मिली जानकारी के अनुसार अनेक विधायकों ने दूसरे के वाहन का नंबर देकर देयह तैयार कराए हैं और विधानसभा सचिवालय ने भी बिना जांच किए भुगतान कर दिया।
सचिवालय की भूमिका संदिग्ध : इस संबंध में विधानसभा सचिवालय की भूमिका भी संदिग्ध है। नियमों में स्पष्ट लिखा है कि विधायक के निजी वाहन पर ही यात्रा भत्ते की पात्रता है, ऐसे में सचिवालय बिना जांच किए कैसे यात्रा भत्ते का भुगतान कर रहा है? इसके अलावा प्रमुख सचिव के बिना जांच के यह भुगतान कैसे कर रहे हैं। नियमों में लिखा है कि विधायक अनी यात्रा का विवरण प्रमुख सचिव को देगा। इसके बाद विधानसभा सचिवालय देयकों की दो प्रति तैयार कर उन दोनों पर विधायक के हस्ताक्षर कराएंगा तथा एक प्रति पर प्रमुख सचिव के हस्ताक्षर के बाद भुगतान किया जाएगा। यहां बता दें कि विधानसभा सचिवालय के लगभग सभी अधिकारियों, कर्मचारियों को जानकारी है कि - विधायक वाहन व रेल का किराया एक साथ ले रहे हैं, लेकिन किसी की हिम्मत नहीं है उन्हें ऐसा करने से रोकने दें।
यह तो वर्षों से हो रहा है : इस संबंध में जब हमने सूचना के अधिकार के तहत विधानसभा सचिवालय में आवेदन लागया तो मप्र में भ्रष्टाचार के खिलाफ लडऩे वाले एक वरिष्ठ विधायक हमें सलाह दी कि - ऐसा मत करो, क्योंकि यह तो वर्षों से हो रहा है। यदि पीछे पड़े मप्र विधानसभा के चुनाव दुबारा कराने पड़ेंगे, क्योंकि बहुत कम विधायक बचेंगे, जो यह घपला नहीं कर रहा है। कांग्रेस विधायक दल के सचेतक एनपी प्रजापति से इस संबंध में टिप्पणी के लिए अनुरोध किया तो उन्होंने कहा कि - केवल विधायकों के पीछे क्यों पड़े हो? मप्र के कई अधिकारी भी फर्जी यात्रा देयक ले रहे हैं।
भोपाल के विधायक भी पीछे नहीं : नियमों में साफ लिखा है कि भोपाल से आठ किलोमीटर दूर से आने वाले वाहन यात्रा भत्ता पाने के हकदार हैं, लेकिन भोपाल के सभी विधायकों ने विधानसभा से मनचाहा वाहन भत्ता वसूल किया है। जनवरी से दिसम्बर 2009 तक भोपाल के विधायकों ने वाहन भत्ते के रुप में हजारों रुपए लिए व हजारों रुपए के रेल कूपन भी लिए।
विधायक वाहन भत्ता रेल कूपन राशि
1 - ब्रम्हानंद रत्नाकर बैरसिया 23780 18,000
2 - आरिफ अकील 27200 18,000
3 - विश्वास सारंग 32000 94,000
4 - उमाशंकर गुप्ता 48968 2,68,000
5 - ध्रुवनारायण सिंह 14000 66,000
6 - जितेन्द्र डागा 22800 36,000
जानकारी मिली तो करूंगा कार्यवाही : इस संबंध में स्पीकर ईश्वरदास रोहाणी ने कहा कि विधायक ऐसा कर रहे हैं, इसकी जानकारी मुझे नहीं है। यदि कोई इस संबंध में सप्रमाण शिकायत मिली तो मैं सख्त कार्यवाही करुंगा।
सभी पर कार्यवाही होना चाहिए : नेता प्रतिपक्ष जमुनादेवी का कहना है कि इस मामले की उच्च स्तरीय जांच होना चाहिए और सभी दोषी विधायक वे चाहे किसी भी दल के हों, उनके विरूद्ध सख्त कार्यवाही होना चाहिए।
एक वर्ष में सबसे ज्यादा वाहन भत्ता लेने वाले विधायक
विभा क्षेत्र क्रमांक विधायक रेल राशि वाहनों का राशि
3 सुरेश चौधरी 1,66,792 95,684
7 शिवमंगल सिंह तोमर 1,98,000 99,660
18 लाखन सिंह यादव 2,00,000 93,600
62 जुगलकिशोर बागरी 1,88,000 1,10,004
67 रामलखन सिंह 1,10,000 1,03,628
71 लक्ष्मण तिवारी 1,43,150 1,31, 684
72 गिरिश गौतम 2,70,000 1,18,304
78 विश्वमित्र पाठक 1,32,000 1,20,000
80 राम लल्लू वैश्य 70,000 91,280
81 रामचरित्र 86,000 97,799
87 बिसाहूलाल सिंह 1,26,000 1,12,588
94 निथिश पटेल 1,86,000 1,66,299
226 राधेश्याम पाटीदार 48020 96,740
229 खुमानसिंह शिवाजी 18,000 95,832
230 ओमप्रकाश सचलेचा 1,38,000 1,24,500
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1 टिप्पणी:
Sir,
Pradesh me aisa bahut kuch ho raha hai, jo galat hai. lekin apne apna kam puri immandari se kiya hai. bahut-bahut badhiyan ....
Regards
avinash shrivastava
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