शुक्रवार, सितंबर 03, 2010

मेडिकल कालेज के नाम पर घोटाला

-अस्पताल और कालेज निर्मित करने संस्था पर राशि नहीं

-बैंक से कर्जा लेने सरकारी भूमि को गिरमी रखने की तैयारी

सीताराम ठाकुर

भोपाल। यह मप्र के इतिहास में बड़े घोटाले के रुप में दर्ज किया जाएगा। भोपाल में जैन समाज के मेडीकल कॉलेज के नाम पर ली गई 25 एकड़ भूमि पर अब नेताओं और अफसरों की नजर लग गई है। दिगम्बर जैन संत आचार्यश्री विद्यासागर जी महाराज के नाम बनने वाले इस मेडीकल कॉलेज से कथित स्वार्थी तत्वों ने जब आचार्यश्री का नाम हटा दिया तो जैन समाज इस कॉलेज से दूर हो गया। अब नेताओं व अफसरों ने सरकार ने एक रुपए में मिली भूमि को ही बैंक में गिरमी रखने की तैयारी कर ली है। अब यह कॉलेज सत्ता के गलियारों में प्रभावशाली अफसर और नेता के हाथ में पहुुंच गया है। बेशक मुख्यमंत्री के सचिव अनुराग जैन ने मेडीकल कॉलेज बनाने वाले ट्रस्ट से त्यागपत्र दे दिया है, लेकिन आज भी इस ट्रस्ट पर कब्जा उन्हीं का है।

भोपाल में जैन समाज का मेडीकल कॉलेज खोलने का सपना जैन संत आचार्यश्री विद्यागसार जी महाराज ने देखा था। भोपाल प्रवास के दौरान उन्होंने तत्कालीन मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के सामने मेडीकल कॉलजे खोलने का प्रस्ताव रखा था। सिंह ने जैन समाज को निशुल्क भूमि देने का भरोसा दिलाया था। लेकिन सिंह अपने कार्यकाल में भूमि नहीं दे पाए। इसके बाद उमा भारती, बाबूलाल गौर के समय में भी भोपाल में जैन समाज को मेडीकल कॉलेज के भूमि देने की बात होती रही, लेकिन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के कार्यकाल में गांधी रोड़ पर राजीव गांधी प्रोद्योगिकी विश्वविद्यालय के पास 25 एकड़ भूमि मेडीकल कॉलेज के लिए जैन समाज के लिए आरक्षित की गई। राज्य सरकार ने मात्र 3 एकड़ भूमि का आवंटन जैन समाज को करते हुए शर्त रखी थी कि यदि एक वर्ष में तीन सौ बिस्तर का अस्पताल तैयार होगा, तभी शेष 23 एकड़ भूमि जैन समाज को दी जाएगी। लेकिन लगभग चार वर्ष व्यतीत होने पर भी अभी तक वहां अस्पताल बनना तो दूर उसका ढांचा भी तैयार नहीं हुआ है।

आचार्यश्री हुए दूर : इस संबंध में सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि मेडीकल कॉलेज के लिए भूमि मिलते ही इस ट्रस्ट के कर्ताधर्ताओं ने सबसे पहले आचार्यश्री विद्यागसार मेडीकल कॉलेज का नाम बदलकर भगवान महावीर स्वामी मेडीकल कॉलेज कर दिया। इस निर्णय से ट्रस्ट के तत्कालीन अध्यक्ष न्यायमूर्ति एनके जैन भी विचलित हुउए और उन्होंने ट्रस्ट के अध्यक्ष पद से त्यागपत्र दे दिया। एक अन्य ट्रस्टी नरेन्द्र जैन वंदना ने भी स्वयं को ट्रस्ट से अलग कर लिया।

जमीन को गिरवी रखने की तैयारी : जैन समाज द्वारा हाथ खींचने के बाद जब मेडीकल कॉलेज के लिए चंदा नहीं मिला तरो ट्रस्टियों ने अनुराग जैन की मदद ली। जैन के प्रयास से राज्य सरकार ने नियमों को शिथिल करते हुए आदेश जारी किए कि जैन समाज के मेडीकल के लिए सभी विधायक अपनी निधि से पांच पांच लाख दान दे सकते हैं। लेकिन एक दर्जन विधायकों ने भी अपनी निधि से राशि नहीं दी तो ट्रस्टियों ने कॉलेज के पैसे एकत्रित करने नया फार्मूला निकाल है। राज्य सरकार की आरे से एक रुपए में मिली भूमि को ही बैंक में गिरमी रखकर ऋण लेने की तैयारी की गई है।

यह हैं ट्रस्टी : वर्तमान में मप्र के जल संसाधन मंत्री जयंत मलैया ट्रस्ट के अध्यक्ष हैं, जबकि प्रमुख सचिव डीके सिंघई, आईजी पवन जैन, उपसचिव राजेश जैन, पूर्व पुलिस महानिदेशक आरके दिवाकर, पत्रकार सनत जैन, मनोहरलाल टोंग्या, डा. राजेश जैन आदि ट्रस्टी हैं। अनुराग जैन भी अभी तक ट्रस्टी थे, लेकिन बताते हैं कि उन्होंने पिछले दिनों त्यागपत्र दे दिया है, लेकिन अनुराग जैन के बिना ट्रस्ट में पत्ता भी नहीं हिलता।

आचार्यश्री का नाम हटना दुर्भाग्य पूर्ण

इस मेडिकल कालेज से आचार्यश्री विद्यासागर जी महाराज का नाम हटना दुर्भाग्य पूर्ण है। अब यह मेडिकल कालेज समाज का नहीं, बल्कि कुछ लोगों का ही रह गया है।

नरेन्द्र जैन वंदना

महामंत्री, ट्रस्टी

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