गुरुवार, मई 06, 2010

क्षिप्रा के सहारे लाखों के बारे न्यारे






मुख्यमंत्री ने क्षिप्रा के किनारे बने ईंट भट्टों पर रिपोर्ट माँगी
भोपाल। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने उज्जैन कलेक्टर से मप्र की पवित्र नदी क्षिप्रा में फैलते प्रदूषण के संबंध में विस्तृत रिपोर्ट मांगी है। राज्य सरकार इस संबंध में गंभीर कदम उठाने के बारे में विचार कर रही है। इसके अलावा मालवा माटी बोर्ड के अध्यक्ष अशोक प्रजापति की कुर्सी भी खतरे में दिखाई दे रही है। प्रजापति पर आरोप है कि वे क्षिप्रा के सहारे लाखों के बारे न्यारे पर रहे हैं। मुख्यमंत्री के निर्देश पर उनके सचिव एवं खनिज निगम के प्रबंध संचालक एसके मिश्रा ने उज्जैन कलेक्टर से इस संबंध में तत्काल रिपोर्ट भेजने को कहा है।

उज्जैन शहर में सात किलोमीटर क्षेत्र में गरीब कुम्हारों के नाम पर मालवा माटी के अध्यक्ष अशोक प्रजापति ने क्षिप्रा नदी को पच्चीस से पचास फीट तक खोद डाला है। नदी के किनारों पर नियमों को घता बताते हुए लगभग पांच सौ से अधिक ईंट भट्टे बना दिए गए हैं। इनमें से कई भट्टे सरकारी जमीन पर बना लिए गए हैं। इन भट्टों को बेशक गरीबों के नाम से बनाया गया, लेकिन इसके असली मालिक अशोक प्रजापति और उनके परिजन हैं और प्रभावाशाली लोग हैं। गरीब कुम्हार तो इनके भट्टों पर मात्र पच्चीस रुपए सैकड़ा की दर से ईंटें बनाने का काम करते हैं। यह भट्टे प्रतिदिन मिट्टी क्षिप्रा नदी के किनारों से खोदते हैं और बिजली के खंबों से सीधी बिजली लेकर पम्प लगाकर नदी से पानी खींचकर गारा बनाकर उससे ईंट बनाने का काम कर रहे हैं। बताते हैं कि प्रतिदिन लाखों की संख्या में ईंट तैयार हो रही हैं। उज्जैन की ईंटों को उज्जैन के अलावा इंदौर व आसपास के जिलों में बेचने भेजा जाता है। ईंटों के कारोबार के कारण पवित्र क्षिप्रा नदी न केवल प्रदूषित हो रही है, बल्कि उसके किनारे खोद देने के कारण नदी कभी भी अपना वहाब बदल सकती है।

कोयले की राख से लाखों बनाए : भाजपा नेता और मालवा माटी बोर्ड के अध्यक्ष अशोक प्रजापति कायेले की राख से नोट छापने में लगे हुए हैं। दरअसल नागदा मिल से निकलने वाली कोयले की राख के बारे में सुप्रीम कोर्ट ने सख्त निर्देश दिए हैं कि - इस राख को ईंट भट्टों तक पहुंचाकर देने की जिम्मेदारी मिलों की होगी। इसके अलावा जहां भी यह राख रखी जाएगी वहां कम से कम बीस फीट उऊंची दीवार बनाई जाए तथा राख के ऊपर निरंतर पानी छिड़काव किया जाए ताकि यह राख हवा में उड़कर पर्यावरण को प्रदूषित न कर सकें। कोयले की राख के कण यदि हवा के साथ मिलकर सांस के साथ किसी व्यक्ति के शरीर में प्रवेश कर जाए तो उस व्यक्ति के फेफड़े खराब कर देते हैं। इसके अलावा यह राख के कण यदि पानी की सतह पर जम जाएं तो उस पानी पीने वाले को गंभीर रुप से बीमार कर देते हैं। अशोक प्रजापति ने इसी राख को अपनी कमाई का सबसे बड़ा जरिया बनाया हुआ है। नागदा से फ्री आने वाली उज्जैन शहर में नदी के किनारे बने ईंट भट्टों में छह से सात हजार रुपए प्रति ट्रक के हिसाब से प्रजापति एवं उनके परिजन बेचते हैं। क्षिप्रा नदी के किनारे सात किलोमीटर क्षेत्र में सभी ईंट भट्टों के पास यह राख फैली पड़ी है और हवा के साथ नदी की सतह पर जमकर नदी में ऑक्सीजन की कमी कर रही है जिससे नदी में पलने वाली मछलियां भी बिना मौत के मर रहीं हैं।

 
पुख्ता सबूत : उज्जैन के मास्टर प्लान में साफ लिखा है कि क्षिप्रा नदी के दो सौ मीटर क्षेत्र में केवल ग्रीन बेल्ट रहेगा जहां पेड पौधों के रोपण के अलावा कोई भी गतिविधि नहीं की जा सकती, लेकिन हमारे पास उज्जैन के तहसीलदार की वह रिपोर्ट मौजूद है, जो कहती है कि क्षिप्रा नदी के दसे सौ मीटर क्षेत्र में सैकड़ों ईंट भट्टे बने हुए हैं। इनमें कई भट्टे सरकारी जमीन पर बने हुए हैं। बताते हैं कि उज्जैन के सांसद सत्यनारायण जटिया के संरक्षण के कारण कोई भी व्यक्ति अशोक प्रजापति के खिलाफ बोलने की हिम्मत नहीं कर पाता।

हार के पीछे भी प्रजापति : उज्जैन में भाजपा के अधिकांश नेता मानते हैं कि इस बार सत्यनारायण जटिया की पराजय के पीछे भी अशोक प्रजापति का ही कथित आंतक जिम्मेदार है। नाम न छापने की शर्त पर एक भाजपा नेता ने बताया कि - अशोक प्रजापति का जटिया पर इतना प्रभाव है कि उसके सामने वे किसी की सुनने को तैयार नहीं है, जबकि सच्चाई यह है कि प्रजापति को उसकी ही समाज में पसंद नहीं किया जाता, क्योंकि वे नदी किनारे बने लगभग हर ईंट भट्टे संचालक को जिला प्रशासन की धमकी देकर वसूली करते हैं। पिछले दिनों उन्होंने हाईकोर्ट में ईंट भट्टों के खिलाफ जनहित याचिका को फेस करने के नाम पर उन्होंने लाखों रुपए वसूले हैं।

प्रजापति की कुर्सी छिनने का खतरा : अशोक प्रजापति ने जटिया के जरिए मालवा माटी बोर्ड की जो कुर्सी पाई थी उसके छिनने के आसार बन रहे हैं। अशोक प्रजापति के आतंक को चुपचाप सहने वाले गरीब कुम्हार भी उनके खिलाफ लामबंद होने लगे हैं, ऐसे में कुछ भाजपा नेताओं का मानना है कि मोहन यादव की तरह अशोक प्रजापति को भी उज्जैन नगर निगम एवं मंडी चुनाव से पहले हटाना पड़ सकता है।

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