भ्रष्ट कलेक्टरों को बचाने
सरकार जा रही है हाईकोर्ट
रवीन्द्र जैन
भोपाल। मध्यप्रदेश सरकार ने नरेगा की राशि के जिस दुरूपयोग के आरोप में अपने दो कलेक्टरों को निलंबित किया हुआ है, उसी आरोप में फंसे लगभग बीस अन्य कलेक्टरों को बचाने के लिए स्वयं सरकार ही हाईकोर्ट जाने की तैयार कर रही है। सरकार ने राज्य के मुख्य सूचना आयुक्त पीपी तिवारी को पत्र लिखकर यह जानकारी दी है।
सामाजिक कार्यकर्ता अजय दुबे ने मप्र में सभी जिलों में नरेगा की राशि में हुए दुरूपयोग से संबंधित सभी फाइलें सूचना के अधिकार के तहत राज्य सरकार से मंागी थी। लेकिन सरकार ने यह फाइलें देने से इंकार कर दिया। दरअसल सरकार की दुविधा यह है कि नरेगा की राशि के जिस दुरूपयोग के आरोप में वह कलेक्टर केपी राही और अंजूसिंह बघेल को निलंबित कर चुकी है, वैसे ही आरोपों से राज्य के लगभग बीस कलेक्टर लपेटे में आ रहे हैं। यदि सरकार इस संबंध में किसी को भी अधिकृत जानकारी देती है तो उसे इन बीस कलेक्टरों के खिलाफ भी कार्यवाही करना पड़ सकती है, इससे पहले से मप्र में बदनाम आईएएस अफसरों के बारे में देश भर में गलत संदेश जाने का भय है। इधर जानकारी न मिलने पर दुबे ने पहले विभाग में अपील की, लेकिन वहां भी सुनवाई न होने पर उन्होंने मुख्य सूचना आयुक्त का दरवाजा खटखटाया।
फरवरी में मुख्य सूचना आयुक्त पीपी तिवारी ने निर्देश दिया कि - आवेदक को पन्द्रह दिन में उक्त जानकारी निशुल्क उपलब्ध कराई जाए। लेकिन सरकार ने फिर भी यह जानकारी नहीं दी तो तिवारी ने 8 अप्रेल को उक्त जानकारी आयोग के कार्यालय में तलब संबंधी आदेश जारी कर दिए। इस आदेश के जबाव में सरकार ने तिवारी को पत्र लिखकर अनुरोध किया है कि - राज्य सरकार आयोग के इस निर्णय के खिलाफ हाईकोर्ट जा रही है। इसलिए फिलहाल वे कार्यवाही स्थगित रखें। सरकार के इस निर्णय से सभी को आश्चर्य हो रहा है, क्योंकि पहले तो मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मप्र में नरेगा की राशि के दुरूपयोग को रोकने के लिए प्रदेश के दो कलेक्टरों को निलंबित करके उसका जमकर प्रचार प्रसार कराया। यह दोनों कलेक्टर प्रमोटी थे। लेकिन अब सरकार इसी आरोप मे फंसे सभी आईएएस अफसरों को बचाने के लिए एडी चोटी का जारे लगा रही है। वैसे इस आरोप में केवल आईएएस ही नहीं राज्य प्रशासनिक सेवा व अन्य सेवा के अधिकारियों पर भी गाज गिर सकती है जो जिला पंचायत सीईओ के रुप में काम पदस्थ थे।
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