रविवार, फ़रवरी 21, 2010

लोकायुक्त संगठन में यह कैसा जातिवाद !

दलित व आदिवासी नेताओं पर होती है कार्यवाही

प्रभावशाली बच जाते हैं


रवीन्द्र जैन

भोपाल। मध्यप्रदेश में पिछले छह वर्षों का लोकायुक्त संगठन का कार्यकाल विवादों से भरा रहा है। इस कार्यकाल में लोकायुक्त ने प्रदेश के जिन दो मंत्रियों व पूर्व मंत्रियों के खिलाफ चालान पेश किया उनमें एक आदिवासी तथा एक दलित वर्ग का है। जबकि राज्य के कई प्रभावशाली मंत्रियों के खिलाफ जितनी भी शिकायतें लोकायुक्त संगठन में की गईं उन्हें या तो जांच के नाम से लंबित रखा गया अथवा क्लीन चिट दे दी गई है।
लोकायुक्त संगठन ने सूचना के अधिकार के तहत 10 जुलाई 2007 को बताया था कि लोकायुक्त संगठन में प्रदेश के मुख्यमंत्री सहित 13 मंत्रियों के खिलाफ शिकायतें मिली हैं। इनमें से मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, जुगलकिशोर बागरी एवं ओमप्रकाश धुर्वे के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 के तहत आपराधिक प्रकरण कायम किया गया है। जबकि अजय विश्रोई, बाबूलाल गौर, लक्ष्मीकांत शर्मा, जयंत मलैया, हिम्मत कोठारी, चौधरी चन्द्रभान सिंह, कमल पटेल, कैलाश विजयवर्गीय, अनूप मिश्रा, मोती कश्यप के खिलाफ शिकायतों की जांच की जा रही है। लोकायुक्त संगठन ने दलित गर्व के जुगल किशोर बागरी को रीवा में शिक्षाकर्मी चयन समिति के सदस्य के रूप में गलत नियुक्तियों का आरोप लगाकर उनके खिलाफ कोर्ट में चालान पेश कर दिया। चालान पेश होने के तत्काल बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बागीरी से त्यागपत्र मांग लिया।

ओमप्रकाश धुर्वे :  इसी प्रकार ओमप्रकाश धुर्वें जब प्रदेश के खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री थे तब राज्य सरकार ने उन्हें मप्र नागरिक आपूर्ति निगम का अध्यक्ष भी बना दिया था। निगम में अनाज के परिवहन की दरों को लेकर धुर्वे पर आरोप लगा था कि उन्होंने जानबूझकर परिवहन ठेके संबंधी फाइल अपने पास रखी, ताकि नए ठेकेदार के बजाय पुराना ठेकेदार ही परिवहन का काम कर सके। नए ठेकेदार ने परिवहन की दरें कम थीं। जिससे निगम को लाखों रुपए का नुक्सान हुआ। धुर्वे के मामले में जिस तरह लोकायुक्त संगठन ने रूचि ली वह चौंकाने वाली है। जिस लोकायुक्त संगठन में मंत्रियेां के खिलाफ वर्षों से जांच लंबित है, वहां ओमप्रकाश धुर्वें के मामले में प्रारंभिक जांच करने के बाद 4 मई 2006 को उनके खिलाफ प्रकरण कायम किया गया और 10 जनवरी 2007 को कोर्ट में उनके खिलाफ चालान पेश कर दिया गया।

धुर्वें से मांगे थे पांच लाख : ओमप्रकाश धुर्वें ने भोपाल के श्यामला हिल्स थाने में लिखित शिकायत में आरोप लगाया था कि तत्कालीन लोकायुक्त रिपुसूदन दयाल के बेटे के पीए के नाम से एक अज्ञात व्यक्ति ने उन्हें फोन करके उक्त मामले को निबटाने के लिए पांच लाख रुपए मांगे थे। लेकिन उन्होंने यह राशि नहीं दी। यद्यपि पुलिस ने धुर्वें की शिकायत को जांच के बाद खारिज कर दिया था।

मुख्यमंत्री पर कार्यवाही नहीं :  लोकायुक्त संगठन में प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान एवं उनकी पत्नी साधना सिंह के खिलाफ 15 नवम्बर 2007 को भोपाल जिला न्यायालय के आदेश पर प्रकरण कायम किया गया था। लगभग ढाई साल बाद भी अभी तक इस प्रकरण में मुख्यमंत्री अथवा उनकी पत्नी को बयान देने के लिए भी लोकायुक्त संगठन नहीं बुलाया गया है। बताया जाता है कि नए लोकायुक्त की नियुक्ति के बाद संगठन के एक अधिकारी ने मुख्यमंत्री निवास पहुंचकर मुख्यमंत्री एवं उनकी पत्नी के बयान दर्ज करने की औपचारिकता पूरी कर ली है तथा शीघ्र ही मुख्यमंत्री को इस मामले में क्लीन चिट देने की तैयारी है।

प्रहलाद को लिया साथ : मुख्यमंत्री ने रूठे अपने पुराने मित्र पूर्व केन्द्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल को मुख्यमंत्री भाजपा में शामिल करके डम्पर प्रकरण को ठंडा कर लिया है। भाजपा में शामिल होने से पहले प्रहलाद पटेल ने ही सबसे पहले यह मामला उठाया था।

अहसान में मिली कुर्सी : लोकायुक्त संगठन में मुख्यमंत्री की जांच को ढाई साल तक दबाकर रखने वाले लोकायुक्त संगठन भोपाल के पुलिस अधीक्षक केके लोहानी को भोपाल का उप पुलिस महानिरीक्षक का पद देकर उपकृत किया गया है।

: कब से लंबित है जांच :

मंत्री- शिकायत दिनांक - एवं आरोप

1 - शिवराज सिंह चौहान 15 नवम्बर 07 डम्पर कांड
2 - शिवराज सिंह चौहान 29 अप्रेल 08 दवा खरीदी में घोटाला
     अजय विश्रोई








3 - बाबूलाल गौर 30 जून 07 खनिज लीज घोटाला
      लक्ष्मीकांत शर्मा








4 - लक्ष्मीकांत शर्मा 25 जुलाई 05 खनिज लीज घोटाला









5 - जयंत मलैया 31 मार्च 08 बिल्डर को 20 करोड़ का लाभ पहुंचाया
6 - जयंत मलैया 2 मई 08 श्रीराम बिल्डर को अवैध लाभ पहुंचाया
7 - जयंत मलैया 19 मार्च 07 पद का दुरूपयोग
8 - जयंत मलैया 9 जून 08 पद का दुरूपयोग








9 - अजय विश्रोई 23 जुलाई 07 नर्सिंग कॉलेज में पद का दुरूपयोग
     जयंत मलैया
10 - हिम्मत कोठारी 14 मई 07 मोरों के दाना पानी में घपला
11 - चौधरी चन्द्र भान सिंह 25 जनवरी 08 पद का दुरूपयोग कर सम्पत्ति एकत्रित करना
12 - कमल पटेल 26 नवम्बर 07 भू माफिया को 25 करोड़ का लाभ पहुंचाया








13 - कैलाश विजयवर्गीय 20 जून 07 ट्यूबवेल खनन में पद का दुरूपयोग
14 - कैलाश विजयवर्गीय 10 अप्रेल 07 बीओटी स्कीम में पद का दुरूपयोग







15 - अनूप मिश्रा 3 अप्रेल 07 जल संसाधन में ठेकेदारों को अनुचित लाभ
16 - मोती कश्यप 4 जून 05 मछली ठेकेदारों को पांच करोड़ का लाभ

इनके खिलाफ  हुआ चालन पेश

17 - जुगल किशोर बागरी 29 सितम्बर 1998 शिक्षाकर्मी की भर्ती में घपला
18 - ओम प्रकाश धुर्वे 4 मई 06 अनाज परिवहन में ठेकेदार को लाभ पहुंचाया

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