गुरुवार, फ़रवरी 11, 2010

 

राजेंद्र शुक्ल पर मेहरबानी क्यों?




 


भ्रष्टाचार पर सरकार की दोहरी

नीति शक के घेरे में

बिच्छू डॉट कॉम
भोपाल। शुचिता का दंभ भरने वाली भाजपा सरकार की दोहरी नीति की इन दिनों राजनीतिक वीथिकाओं में खासी चर्चा है। आयकर विभाग द्वारा मारे गए छापे के बाद शिवराज मंत्रिमंडल से अजय विश्नोई को हटा दिया गया था, जबकि एक अन्य छापे के बावजूद खनिज मंत्री राजेंद्र शुक्ल के आगे सरकार ढाल की तरह खड़ी हो गई है। सत्ता के गलियारों में सरकार के इस दोहरे रवैये पर आश्चर्य जताया जा रहा है। उल्लेखनीय है कि पिछले दिनों आयकर विभाग ने खनिज राज्यमंत्री राजेंद्र शुक्ल के भाई विनोद शुक्ल के मेट्रो प्लाजा स्थित कार्यालय पर छापा मारा था। इसमें विनोद ने डेढ़ करोड़ की अघोषित आय स्वीकार की थी। छापे की इस कार्रवाई से राजनीतिक हलकों में सनसनी फैल गई। सूत्र बताते हैं कि मंत्री राजेंद्र शुक्ल ने अपने इस भाई के एक दोस्त को एक खदान देकर उपकृत किया है। उन पर यह भी आरोप है कि उन्होंने अपने विभाग की पांच विवादास्पद फाइलों को भी आगे बढ़ा दिया है। हालांकि भाजपायी गलियारों में राजेंद्र शुक्ल को ईमानदार के रूप में माना जाता है, किंतु उनके विवादास्पद फैसलों और उनके भाई के यहां आयकर छापे ने उनकी असलियत बयान कर दी है। भाजपायी यह मान कर चल रहे थे कि छापे की कार्रवाई के बाद शुक्ल को मंत्रिमंडल से बाहर कर दिया जाएगा, किंतु एंसा नहीं हुआ और सरकार उनके आगे ढाल बन कर खड़ी हो गई। गौरतलब है कि जब अजय विश्नोई के यहां आयकर विभाग का छापा पड़ा था, तब मुख्यमंत्री ने उन्हें तत्काल मंत्रिमंडल से बाहर कर दिया था, लेकिन राजेंद्र शुक्ल के मामले में शिवराज खामोश रह गए। मुख्यमंत्री की इस दोहरी नीति से भाजपायी हतप्रभ हैं। खास बात यह है कि प्रतिपक्ष की भूमिका में बैठी कांग्रेस भी इस मामले में खामोश है।

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