शिवराज का हुक्म भी
नहीं सुनते अफसर
इंदौर। जनता से सीधे रूबरू होने और विभागीय काम-काज पर नजर रखने के लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आला अफसरों को हर महीने डायरी लिखने का आदेश दिया था। इस आदेश के छह महीने होने को आए, लेकिन डायरी के पन्ने खाली है। 46 विभागों में डायरी नहीं भरी जा रही। डायरी नहीं लिखने वालों में 54 आला अफसर सामने आए हैं।
हिदायत भी बेअसर
अफसरों की सहूलियत के लिए डायरी भरने की ऑनलाइन व्यवस्था की गई है। प्रमुख सचिव ने गत 22 जनवरी को फिर अफसरों को हिदायत भरा पत्र भेजकर बताया है कि मुख्यमंत्री खुद इस डायरी को पढ़ते हैं। मुख्यमंत्री के आदेश को भी तवज्जो नहीं देने वाले इन अफसरों की पोल सूचना का अधिकार प्रकोष्ठ के प्रदेशाध्यक्ष अजय दुबे की ओर से सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत मांगी गई जानकारी से खुली है।
हर विभाग में ऎसे साहब
मुख्यमंत्री ने जून महीने से मासिक डायरी भरने के निर्देश दिए थे। इसका आदेश तत्कालीन मुख्य सचिव राकेश साहनी ने 30 जून को जारी किया था। अफसरों की मनमानी को लेकर 22 जनवरी 2010 को हिदायत भरा दूसरा आदेश सामान्य प्रशासन विभाग के प्रमुख सचिव सुदेश कुमार को जारी करना पड़ा।
54 आला अफसरों ने नहीं मानी
गृह विभाग
डीजीपी, नगर सेना एवं नागरिक सुरक्षा एचके सरीन, संचालक लोक अभियोजन विनोदसिंह बघेल
जेल विभाग
महानिदेशक एवं जेल महानिरीक्षक संजय वी माने
वित्त विभाग
सचिव अश्विनी कुमार राय, कोष एवं लेखा प्रभाकर बंसोड़ (तत्कालीन), संचालनालय, अल्प, बचत एवं राज्य लॉटरीज मनीष सिंह
वाणिज्यिक कर विभाग
प्रमुख सचिव एपी श्रीवास्तव, आयुक्त प्रसन्ना कुमार दास, महानिरीक्षक, पंजीयन एवं अधीक्षक मुद्रांक विनोद चंद्र सेमवाल
राजस्व विभाग: प्रमुख सचिव एमएम उपाध्याय, आयुक्त भू-अभिलेख एवं बंदोबस्त विनोद कुमार
परिवहन विभाग: सचिव अनिरूद्ध मुखर्जी, परिवहन आयुक्त एनके त्रिपाठी (तत्कालीन)
खेल एवं युवक कल्याण विभाग: संचालक, खेल एवं युवक कल्याण संजय चौधरी, खनिज संसाधन विभाग, संचालनालय भौमिकी तथा खनिकर्म आरके शर्मा
सहकारिता विभाग: सहकारिता आयुक्त विश्व मोहन उपाध्याय, पंजीयक सहकारी संस्थाएं एससी तिवारी
श्रम विभाग: प्रमुख सचिव कृष्णपाल सिंह, श्रमायुक्त वीरा राणा (तत्कालीन)
लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग: सचिव सुधीरंजन मोहंती, संचालक डॉ. अशोक शर्मा
लोक निर्माण विभाग: प्रमुख सचिव प्रभु दयाल मीना, सचिव मो. सुलेमान, प्रमुख अभियंता शैलेंद्र शुक्ला
खाद्य, नागरिक आपूर्ति: प्रमुख सचिव एके दास, नियंत्रक, नाप तौल एसके जैन
जल संसाधन: प्रमुख अभियंता केसी प्रजापति
चिकित्सा शिक्षा: संचालक डॉ. वीके सैनी
(सूची 31 दिसंबर 2009 तक की है। इसमें से कुछ अफसर अब स्थानांतरित हो चुके हैं।)
अफसरों को डायरी भरने का मुख्यमंत्री के आदेश को मृतप्राय: कहा जाएगा, क्योंकि अफसर अपनी तिजोरी भरने में व्यस्त हैं। ऎसी सूरत में मासिक पत्रक भरने का न तो उन्हें शौक है, न मजबूरी। आयकर विभाग के छापों ने कांग्रेस के कथन को सिद्ध भी कर दिया है।- केके मिश्रा, प्रदेश प्रवक्ता, कांग्रेस
मुख्यमंत्री का प्रशासनिक नियंत्रण समाप्त हो गया है। अफसर हकीकत में आम जनता के बीच जा नहीं रहे हैं। इसलिए डायरी भरने में भी डरते हैं।- अजय दुबे, प्रदेशाध्यक्ष, सूचना अधिकार प्रकोष्ठ
इन्हें लिखनी थी
* अपर मुख्य सचिव
* प्रमुख सचिव
* सचिव विभागाध्यक्ष
यह लिखना है
* महीने में विभाग में लिए गए खास फैसले। प्रमुख कार्योü का उल्लेख।
* विभाग की महीने में उल्लेखनीय उपलब्धि। कम से कम तीन का उल्लेख।
* प्रदेश के विभिन्न अंचलों और प्रदेश के बाहर के दौरों का संक्षिप्त विवरण।
* आकस्मिक छुट्टी, अर्जित अवकाश या चिकित्सा अवकाश की संख्या।
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