भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाएगा यह फैसला
भोपाल के राजभवन में मुख्य सूचना आयुक्त के रूप में शपथ लेते पी.पी. तिवारी
एतिहासिक फैसले के लिए याद किए जाएंगे पीपी तिवारी
रवींद्र जैन
भोपाल। मध्यप्रदेश के मुख्य सूचना आयुक्त पीपी तिवारी एक बार फिर से चर्चा में हैं। सोमवार को उन्होंने मुख्य सूचना आयुक्त के रूप में एतिहासिक फैसला सुनाकर मप्र के इतिहास में एक नया पृष्ठ जोड़ दिया है। अब प्रदेश की निरंकुश नौकरशाही को अपनी सम्पत्ति का ब्यौरा जनता के सामने रखना होगा। लेकिन तिवारी को हम केवल इस एतिहासिक निर्णय के लिए ही नहीं, बल्कि इस निर्णय से पहले स्वयं की सम्पत्ति का ब्यौरा मुख्य सूचना आयुक्त की बेवसाइट पर डालने के लिए उन्हें प्रणाम कर रहे हैं। तिवारी इससे पहले मप्र के तत्कालीन विवादस्पद लोकायुक्त रिपुसूदन दयाल से विवादों के कारण चर्चा में आए थे। दयाल सूचना के अधिकार के तहत तिवारी द्वारा दिए जा रहे एक निर्णय को बदलवाने के लिए तिवारी के घर पहुंचे थे, लेकिन तिवारी ने उनकी शिकायत थाने में करके लोकायुक्त जैसे पद पर बैठे व्यक्ति के इन प्रयासों पर पानी फेरकर खूब वाहवाही लूटी थी।
क्या था मामला
मप्र कांग्रेस विधायक दल के उपनेता चौधरी राकेश सिंह ने राज्य मंत्रालय में सूचना के अधिकार के तहत प्रदेश के आईएएस व आईपीएस अधिकारियों की सम्पत्ति से संबंधित वह जानकारी मांगी थी, जो यह अधिकारी प्रतिवर्ष सरकार को उपलब्ध कराते हैं। जैसे कि उम्मीद थी, प्रदेश की नौकरशाही ने विधायक को जानकारी देने से यह कर इंकार कर दिया कि उक्त जानकारी देने से अधिकारियों की निजता का अतिक्रमण होगा। चौधरी ने मंत्रालय के अपीलीय अधिकारी के सामने अपील की, लेकिन उन्होंने भी चौधरी की अपील को खारिज कर दिया।
चौधरी ने मुख्य सूचना आयुक्त का दरवाजा खटखटाया। मुख्य सूचना आयुक्त पीपी तिवारी ने इस संबंध में आईएएस व आईपीएस अधिकारियों को अपना पक्ष रखने का अवसर दिया। कई अधिकारियों ने अपनी सम्पत्ति के बारे में जानकारी देने पर आपत्ति की, लेकिन ओपी रावत जैसे आईएएस अधिकारी तो सुनवाई के दौरान ही अपनी सम्पत्ति का ब्यौरा लेकर पहुंचे थे तथा उसे सार्वजनिक करने के लिए अपनी सहमति भी दे आए थे। इसी प्रकार पुलिस महानिदेशक एसके राउत ने भी सम्पत्ति का ब्यौरा देने की सहमति प्रदान कर दी थी। कुछ अधिकारियों ने इस संबंध में विरोध किया तो चौधरी ने एक ही तर्क दिया कि - जब जनप्रतिनिधियों को चुनाव लडऩे से पहले अपनी सम्पत्ति का ब्यौरा देना जरूरी है, तो लोकसेवक अपनी सम्पत्ति को कैसे छुपा सकता है।
उदारण बने तिवारी
इस सुनवाई के दौरान तिवारी ने महसूस किया कि मुख्य सूचना आयुक्त को भी अपनी सम्पत्ति को ब्यौरा सार्वजनिक करना चाहिए। तिवारी ने इस प्रकरण में फैसला सुनाने से पहले मुख्य सूचना आयोग की बेवसाइट पर पहले अपनी सम्पत्ति का ब्यौरा डाला, इसके बाद 15 फरवरी 2010 को उन्होनें अपने एतिहासिक फैसले में न केवल सरकार को निर्देश दिए कि -आईएएस, आईपीएस अधिकारियों की जानकारी विधायक राकेश चौधरी 15 दिन में को निशुल्क उपलब्ध कराएं, बल्कि उन्होंने सरकार को यह भी निर्देश दिया कि - लोकसेवकों पर जनता की निगरानी के सभी लोकसेवकों की सम्पत्ति की जानकारी उनकी विभागीय बेवसाइट पर डाली जाए। तिवारी का फैसला आने के बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मंत्रालय में आनन फानन में पत्रकार वार्ता बुलाकर घोषणा कर दी कि - प्रदेश के सभी मंत्री भी अपनी सम्पत्ति को ब्यौरा हर साल विधानसभा के पटल पर रखेंगे। इसके अलावा मुख्यमंत्री ने सभी लोकसेवकों की सम्पत्ति को बेवसाइट पर डालने के आदेश भी जारी कर दिए। अब मप्र के तृतीय वर्ग तक के सभी अधिकारी कर्मचारियों को हर साल अपनी सम्पत्ति का ब्यौरा अपने विभाग की बेवसाइट पर डालना होगी।
13 टिप्पणियां:
SHRI TIWARI JAISE LOGON KE AACHRAN SE DUSRE RAJYON KE SUCHNA AYUKTON AUR IAS & IPS ADHIKARIYON KO IMANDARI KA PATH PADHANA CHAHIYE.KENDRIY SARKAR KO TIWARI JI JAISE IMANDAR ADHIKARIYON KO POORE DESH MAIN MANDARI AUR PARDARSITA KI SHIKSHA DENE KA KAM DENA CHAHIYE.
SHRI TIWARI JASE LOGON KI WAJAH SE HI IS DESH KI WYAWSTHA CHAL RAHI HAI NA KI MANMOHAN SINGH JAISE LOGON KI WAJAH SE.
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